रविवार, 13 सितंबर 2009

महामूर्खाधिपति - भाई (विक्रम)और टल्ली(बेताल)-३



(मोबाइल और ड्राइविंग)
'अच्छा सर्किट..अपुन थोडा भाई को मुर्दाघर पे ड्राप करके आता है.'पकिया बोला.
रात के साधे ग्यारह बजे थे.मोटर साइकिल स्टार्ट हुई.और थोडी देर में भाई अस्पताल जाने वाले रास्ते पर ओझलहो गया.
रास्ते में पकिया बोला-भाई,हो सकता है टल्ली साला झूठ बोल रहा हो..आज कल बम ब्लास्ट तो होता है...खोपडीब्लास्ट होने का बात अपुन को कुछ जमता नहीं.टल्ली साला फेंकता होएंगा.
'नहीं पकिया..पहले तो यह झूठ नहीं होएंगा...पण गर इज ये झूठ है भी तो अपुन खोपडी की रिस्क नहीं ले सकता.'
अस्पताल का मुर्दाघर के पास भाई को ड्राप करके पकिया की मोटर साइकल वापस घूम गई.
थोडी देर में टल्ली भाई के कंधे पर लटक कर एक और कहानी सुना रहा था.
भाई एक गाँव था नन्दनगर.वहां पर होली पर हर साल एक अजीब प्रतियोगिता का आयोजन किया जाता था.इसप्रतियोगिता में लोग मूर्खता पूर्ण हरकते करते और महामूर्खाधिपति का खिताब जीतने का प्रयास करते.उसप्रतियोगिता में गाँव के तीन लोग हमेशा खिताब के दावेदार होते थे.एक का नाम जड़मति था,दूसरे का नाममूढ़मति और तीसरे का नाम शून्यमति था .
एक बार होली पर भव्य तरीके से महामूर्खाधिपति प्रतियोगिता का आरम्भ हुआ.गाँव के रिटायर्ड प्रिंसिपलनिर्णायक थे.स्कूल के स्टेडियम में लोग खचाखच भर गए.सबसे पहले गाँव के एक होनहार लड़के मोहित ने मोटरसाइकल पर तरह तरह के करतब दिखये...उसने दोनों हाथ छोड़ कर मोटर साइकल चलाई,मोटर साइकल चलातेमोबाइल पर बात करके दिखाया,मोटर साइकल चलाते अखबार पढ़कर दिखाया.
सबसे पहले जड़मति ने एक बड़े से थैले में आस पास हवा से कुछ पकड़ते हुए डाला..और काफी देर तक ऐसा करतारहा.फिर थैला निर्णायक को देते हुए कहा की उसने गाँव की हवा को थैले में बंद कर दिया है..अब जब लाईट चलीजाएगी तो वह थैले से निकाल कर हवा खाएगा.सब लोग उसकी मूर्खता पर हंसने लगे.
मूढ़मति को निर्णायक ने पूछा कि क्या तुम बता सकते हो मैं कहाँ हूँ...उसने निर्णायक के घर फोन करके पूछा औरफिर बताया कि आप घर पर नहीं हो.
शून्यमति ने कहा कि वह धरती का बीच पता करने वाला है....और फिर उसने अपने कुरते कि जेब से एक फीतानिकला और जमीन को नापते नापते खेतो में ओझल हो गया.
अब भाई तू बता कि महामूर्खाधिपति खिताब किसको मिला.अगर तू सही सही नहीं बताएगा तो तेरे सर के हजारटुकड़े हो जाएंगे.
भाई ने एक लम्बी सांस ली और कहा महामूर्खाधिपति खिताब तीनो में किसी को नहीं मिला होगा...असली मूर्ख तोमोहित नाम का लड़का था जिसने अपना जीवन खतरे में डाल कर मोटर साइकल के करतब दिखाए...देख टल्लीमोटर साइकल या कोई अन्य वाहन हमें सुरक्षित और जल्दी अपने गंतव्य पर पहुंचाने के साधन है..आपनी जानको खतरे में डालकर इनका प्रयोग करना सबसे बड़ी मूर्खता है जिसके कारण हम हर साल एक लाख चौदह हजारलोगों को खो देते है.फिर उसके अलावा महामूर्खाधिपति खिताब का कोई और दावेदार कैसे हो सकता है.

'एकदम सही बोला भाई...प्रिंसिपल साहब ने मोहित को ही महामूर्खाधिपति घोषित किया...और पूरे गाँव में एकसन्देश दिया.पण तू बोल गया...तेरा मौन टूटा और अब में चला...हा!हा!हा!...'
और टल्ली बेताल उड़ कर मुर्दाघर के बरगद पर लटक गया.

6 टिप्‍पणियां:

  1. ये वाली विक्रम बैताल भी खूब रही:)

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  2. सही बात रोचक अंदाज़ में.ये खतरनाक तरीका कितना जान लेवा हो सकता है ये आये दिन की ख़बरों में मिल जाता है. यानी ये ऐसी मूर्खता है जो दूसरों के लिए जानलेवा भी है.

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  3. पता नहीं कैसे आपके सभी ब्लाग कभी देख नहीं पाई आपकी बहुमुखी प्रतिभा से प्रभावित हूँ ।व्यंग बहुत जानदार है बधाई

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  4. बेताल कथा का नया संस्करण झकास है।
    एक निवेदन है कि कृपया बोल्ड शब्दों का प्रयोग न करें और हर पैरा के बाद एक लाइन का गैप दे दिया करे, इससे पढने में सुविधा रहेगा।


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    क्या है कोई पहेली को बूझने वाला?
    पढ़े-लिखे भी होते हैं अंधविश्वास का शिकार।

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  5. बहुत ही सुंदर रचना है। ब्लाग जगत में द्वीपांतर परिवार आपका स्वागत करता है।
    pls visit.......
    www.dweepanter.blogspot.com

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  6. सबसे पहले गाँव के एक होनहार लड़के मोहित ने मोटरसाइकल पर तरह तरह के करतब दिखये...उसने दोनों हाथ छोड़ कर मोटर साइकल चलाई,मोटर साइकल चलातेमोबाइल पर बात करके दिखाया,मोटर साइकल चलाते अखबार पढ़कर दिखाया.
    ......और टल्ली बेताल उड़ कर मुर्दाघर के बरगद पर लटक गया

    सुन्दर देशज शब्दों का मिश्रण कर आपने गाँव की झांकियों के माध्यम से महानगरी समस्या को उजागर किया है ..... काश आज ले होनहार बच्चे सबक लेते तो आये दिन होने वाली लापरवाही की वजह से दुर्घटनाओं को रोका जा सकता .....
    जागरूकता भरे आलेख हेतु आभार

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